सुरजपुर

हलीमा बीबी 120 साल की उम्र में ली अंतिम सांस केवरा के बीजादाड़ में, मैय्यत में हजारों का हुजूम उमड़ा

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*हलीमा बीवी 120 साल की उम्र में ली केवरा के बीजादाड़ में अंतिम सांस*

*डॉक्टर अब्दुल मजीद की मां थी हलीमा बीबी*

सुरजपुर: गोल्डी खान की रिपोर्ट
प्रतापपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत केवरा निवासी हलीमा बीबी अपने छोटे बेटे डॉक्टर अब्दुल मजीद के घर बीजादाड़  में ली अन्तिम सांस ज्ञात हो कि हलीमा बीबी का जन्म भैयाथान ब्लॉक के  ग्राम पंचायत पलमा पोस्ट चंद्रमेढा में हुआ था जिनकी शादी केवरा निवासी मोहम्मद खलील पिता के साथ हुआ था इनका  तीन पुत्र और चार पुत्रिया थीं जब बच्चे छोटे छोटे थे तब ही उनकी पति मोहम्मद खलील साहब का इंतेकाल हो गया इन छोटे बच्चों के सरो से  बाप का साया उठ गया जिसके बावजूद हलीमा बीबी हार नहीं मानी और संघर्ष करती रही उनका जीवनकाल काफी संघर्षमय और कठिनाई से गुजरा उस समय का दौर में काफी गरीबी हुआ करती थी जैसे तैसे घर का गुजारा हुआ करता था गांव गांव में चूड़ी बेचकर खुद भूखी रहकर अपने बाल बच्चों का पेट भरा करती थीं ऐसे ही समय गुजरता गया बच्चें बड़े होने लगे सभी बच्चों ने कुछ ना कुछ काम करने लगे जिससे हलीमा बीबी का  कुछ सहारा होने लगा इसी तरह चलते चलते कई साल बीतता चला गया फ़िर हलीमा बीबी ने सोचा बच्चें बड़े हो गए हैं अब शादियां कर देनी चाहिए और अपने बच्चों की शादियां भी धीरे धीरे रिश्ते देखकर करने लगी सभी की शादियां कर दी गई समय बीतता गया सभी ने समय के साथ कदम से कदम मिलाकर बड़ी तेजी से तरक्की की ओर अग्रसर हुऐ कुछ ही सालों बाद में सभी परिवार बाल बच्चों से भरपुर हो गया सभी हंसी खुशी से  अपना अपना जीवन व्यतीत करने लगे कहते है ना हम भले रुक जाएं मगर जीवन का समय चक्र कभी नहीं रुकता इसी तरह हलीमा बीबी समय बीतने के साथ काफ़ी वृद्ध हो चुकी थी अपने जीवनकाल के अन्तिम पडाव में पहुंच चुकी थी बीजादाड़ में अपने सबसे छोटे बेटे डॉक्टर अब्दुल मजीद के घर में रहा करती थीं जो उनके सबसे अजीज और लाडले बेटे थे हलीमा बीबी 120 वर्ष की आयु में कल यानी 10/10/2024 दिन गुरुवार को भरा पुरा परिवार छोड़कर
11: 30 बजे  घर में अंतिम सांस ली इसके बाद घर के लोग अपने सगे संबंधि रिश्तेदारों को सूचना दिया गया और सभी एकत्रित हुए और होने के बाद शाम के वक्त लगभग
08: 00 बजे सरजमिने केवरा के कब्रिस्तान में हजारों की संख्या में लोगों की मौजूदगी में सुपुर्दे दफ़न कर दिया गया

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