गरमी में धान के बदले दलहन तिलहन लें किसान,10 साल से कम पुराने प्रजातियों का करें उपयोग
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*गरमी में धान के बदले दलहन तिलहन लें किसान*
*10 साल से कम पुराने प्रजातियों का करें उपयोग*
*कृषि विभाग में तेजी से भरी जा रहीं रिक्तियां*
*कृषि उत्पादन आयुक्त ने ली संभाग स्तरीय बैठक*
*खरीफ की समीक्षा एवं रबी फसलों का किया गया निर्धारण*
बिलासपुर मोहम्मद नज़ीर हुसैन 17 अक्टूबर 2024/ कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती शहला निगार ने आज मंथन सभाकक्ष में संभाग स्तरीय बैठक लेकर खरीफ कार्यक्रम 2024 की समीक्षा की। उन्होंने रबी वर्ष 2024-25 के लिए कार्यक्रम का निर्धारण भी किया। श्रीमती निगार ने ग्रीष्मकाल में धान के रकबे को कम करने के लिए किसानों में जागरूकता लाने अभियान चलाने को कहा है। दस साल से अधिक उम्र के धान प्रजातियों का उपयोग नहीं करने की सलाह दी। बैठक में संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ सहित कृषि, मछलीपालन, पशुपालन एवं उद्यानिकी विभाग के संभागीय एवं जिले के अधिकारी उपस्थित थे।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती निगार ने कार्यसूची के अनुरूप अधिकारियों की लगभग 4 घण्टे तक मैराथन बैठक लेकर समीक्षा की। संभाग के सभी 8 जिलों में संचालित किसान हितैषी योजनाओं की कलेक्टरों से विस्तृत जानकारी लेकर दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि खेती में बोआई के लिए नई-नई प्रजातियों को उपयोग किया जाये। इनमें उत्पादन बढ़ने के साथ ही फसलों में रोग कम लगता है। साथ ही कुपोषण दूर करने के लिए आवष्यक पोषक तत्व ज्यादा मात्रा में मिलते हैं। उन्होंने मछलीपालन, डेयरी, उद्यानिकी को खेती का दर्जा दिए जाने के बाद ज्यादा मात्रा में लोन का फ्लो बढ़ाने के निर्देश दिए। अभी की स्थिति में इस सेक्टर में लोन की मात्रा संतोषजनक नहीं है। बताया गया कि सहकारी बैंक की जिले की शाखाओं को ऋण स्वीकृत करने का अधिकार नहीं है। जिसके कारण विलंब हो जाता है। जिला स्तर पर ऋणों की स्वीकृति के लिए अधिकृत करने की बात एपीसी ने कही।
एपीसी ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बड़ी संख्या में किसान आप्ट आउट हो रहे हैं। उन्होंने इसका कारण जानना चाहा। बैंक अथवा अधिकारियों के दबाव में यह कार्य नहीं होने चाहिए, इसे सुनिश्चित किया जाये। संकट के दिनों में बीमा योजना से किसानों को काफी राहत मिलती है।कृषि उत्पादन आयुक्त ने बैठक में बताया कि आधारभूत सुविधा दिये जाने के साथ ही रिक्त पदों पर भर्ती की कार्यवाही चल रही है। जल्द ही इन पदो पर नियुक्तियां की जायेंगी। आदिवासी क्षेत्रों में पहले पदस्थापना होगी। उन्होंने कृषि एसडीओ, एसएडीओ के भवन निर्माण के लिए एस्टीमेट भी दो सप्ताह में भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि धान के रकबे में कमी लाना आज समय की जरूरत है। लेकिन यह एकाएक संभव नहीं होगा। इसके लिए हमें अपनी योजनाओं में बदलाव लाने के साथ ही एक माहौल तैयार करना होगा। सभी जिलों ने धान के रकबे को कम करने के लिए अच्छी कार्य-योजना बनाये हैं। जरूरत अब उन पर गंभीरता से काम करने की है।
श्रीमती निगार ने बैठक में कहा कि कृषि विभाग में अनेक हितग्राही मूलक योजनाएं हैं। यूनिट कास्ट अभी इनमें कम हैं। यूनिट कास्ट बढ़ाने के लिए विभाग में काम हो रहा है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि के साथ ही अन्य रोजगार मूलक काम किया जाये। जरूरत के मुताबिक मछली एवं डेयरी समितियों का गठन किया जाये। जो समितियां निष्क्रिय पड़ी हैं, उन्हें सक्रिय किया जाये। श्रीमती निगार ने कहा कि फसल परिवर्तन के इच्छुक किसानों की सूची बना लिया जाये। उन्हें शासन की हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ दिलाने में प्राथमिकता दिया जाये। कृषि संचालक श्री सारांश मित्तर, पशुधन विकास विभाग के संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला, उद्यान विभाग के अतिरिक्त संचालक श्री भूपेन्द्र पाण्डेय, मछलीपालन विभाग के संचालक श्री नाग, मण्डी बोर्ड के प्रबंध संचालक श्री सवन्नी ने भी विभागीय योजनाओं के बारे में बैठक में बताया। संभागायुक्त श्री महादेव कावरे ने संभाग में कृषि विकास परिदृश्य पर संक्षेप में प्रकाश डाला। कलेक्टर अवनीश शरण ने एपीसी श्रीमती निगार सहित रायपुर से आये संचालक एवं वरिष्ठ अधिकारियों का स्वागत किया।