यह कथा हमे प्रेरित करती है कि ईश्वरीय सत्ता ही सर्वोपरि है-पं दीपक शर्मा

Byमोहम्मद नज़ीर हुसैन बिलासपुर
सीपत:- इतिहास ऐसे अनेको उदाहरण से भरा हुआ है कि जब किसी सामर्थ्यशाली प्रभुत्व संम्पन राजा द्वारा अनीति रोपित करने का प्रयास किया गया तब तब उस सत्ता का विरोध हुआ ऐसे स्वेच्छाचारी सम्राटों के अभिमान को नष्ट करने या तो भगवान स्वयं या किसी को माध्यम बना कर संसार के सामने प्रस्तुत करते हैं उक्त उदबोधन ग्राम झलमला में चल रहे श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के अवसर पर व्यास आसान से पण्डित दीपक शर्मा ने कही

पं, दीपक शर्मा ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित भक्त प्रह्लाद चरित्र को संसार में भगवतसत्ता स्थापना हेतु पहली क्रांति के रूप में देखा जा सकता है
कथा का विस्तार करते हुए पण्डित दीपक ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित भक्त प्रह्लाद चरित्र को संसार में भगवतसत्ता स्थापना हेतु पहली क्रांति के रूप में देखा जा सकता है यह कथा हमे प्रेरित करती है कि ईश्वरीय सत्ता ही सर्वोपरि है आतताई कोई भी हो यदि वह धर्म के मार्ग पर बाधा है तो उसका विरोध आवश्यक हो जाता है भक्त प्रह्लाद ने अनीति सहन करने की अपेक्षा अपने पिता का विरोध करना श्रेयस्कर माना क्योंकि अधर्म को सहन करना भी एक अधर्म है इसलिए भक्त का कर्तव्य है कि वह सदैव सदाचार से युक्त आचरण को प्रश्रय देवे का प्रचार करे ईश्वरीय सत्ता को परम् सत्य माने ओर धर्म स्थापना के कार्य में सदा संलग्न रहे
कथा स्थल पर प्रणव शर्मा जी साथ ही मुख्य यजमान धनलाल साहू अन्नपूर्णा साहू शत्रुहन साहू सन्त कुमार साहू सावित्री साहू अहिल्या साहू नागेश्वरी साहू श्यामलाल साहू रामरतन साहू मंगल प्रसाद साहू देवेश शर्मा विनीत गुरुदीवान कृष्ण कुमार यादव ओमप्रकाश पाटनवर सन्तोषी पाटनवर ईश्वर शर्मा सहित श्रोतागण उपस्थित थे
