फर्जी जाति प्रमाण-पत्र का मामला, ऋचा जोगी के विरुद्ध FIR दर्ज, कहा- कोर्ट में चुनौती दूंगी…

मोहम्मद नज़ीर हुसैन ख़बर 36 गढ़
बिलासपुर . छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की बहू और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी की धर्म पत्नी ऋचा जोगी के खिलाफ गलत जाति प्रमाण पत्र पेश करने के मामले में FIR दर्ज की गई है। खुद को अनुसूचित जनजाति की बताते हुए ऋचा ने यह जाति प्रमाण पत्र, वर्ष 2020 में मरवाही उपचुनाव के समय शासन के पास जमा कराया था। राज्य स्तरीय जाति छानबीन समिति ने ऋचा जोगी के खिलाफ मुंगेली थाने में केस दर्ज कराया है। इधर,ऋचा जोगी ने अपने विरुद्ध दर्ज हुए एफआईआर के मामले में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जोगेरिया के लक्षण एक बार फिर दिखने लगे हैं। चुनावी समर आते ही कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के नेताओं को जोगेरिया हो जाता है। उन्होंने कहा कि मेरी जाति का मामला न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन उसके बाद भी बिना किसी कोर्ट आर्डर के मेरे विरुद्ध अचानक एफ आई आर करना मुझे जोगी जन अधिकार पदयात्रा में भाग लेने से रोकने का प्रयास है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई मरवाही विधानसभा सीट के लिए उनकी पुत्रवधू ऋचा जोगी ने भी नामांकन दाखिल करते हुए चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी पेश की थी उन्होंने ऋचा रूपाली साधु के नाम से जाति प्रमाण पत्र जमा किया था। जून 2021 को उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने ऋचा जोगी के गोंड अनुसूचित जनजाति के स्थायी प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया था।जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी (JCCJ) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी के खिलाफ सहायक आयुक्त एल आर कुर्रे ने जांच रिपोर्ट के आधार पर थाने में शिकायत की थी । शिकायत में कहा गया कि ऋचा रुपाली साधु ने अवैध रूप से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र तैयार कर इसे उपयोग किया है। ऋचा के खिलाफ सामाजिक प्रस्थिति प्रमाणीकरण अधिनियम 2013 की धारा 10 के तहत अपराध क्रमांक 651 दर्ज किया गया है।
उच्च स्तरीय जाति प्रमाणपत्र छानबीन समिति इससे पहले ऋचा जोगी के ससुर और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का भी प्रमाणपत्र खारिज कर चुकी थी। ऋचा जोगी के मामले में भी उसके स्कूली दस्तावेजों में जाति कॉलम में क्रिश्चियन दर्ज है ऋचा जोगी ने जाति प्रमाण पत्र के आधार पर साल 2020 में मरवाही उपचुनाव में जो नामांकन दाखिल किया था, उसे जिला निर्वाचन अधिकारी और तत्कालीन कलेक्टर ने खारिज कर दिया था और उन्हें मरवाही आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराया था।