राजनांदगांव

पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए  होली पर्व मनाएं- हारुन मानिकपुरी

Mohammad Nazir Hussain Bilaspur

छत्तीसगढ़ में होलिका दहन के दुसरे दिन यानी फागुन पुर्णिमा के दिन बच्चे, बुढ़े, युवा किसान महिलाएं बहुत ही उत्साह के साथ एक दुसरे को बुरा ना मानो होली है कहते हुए एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर आशिर्वाद स्वागत करते है

पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए मनाएं होली – हारुन मानिकपुरी

     

मुजम्मिल खान राजनांदगांव की रिपोर्ट

राजनांदगांव   ख़बर 36 गढ़ न्यूज:- छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ दुर्ग के संभाग उपाध्यक्ष हारुन मानिकपुरी ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़े एक धार्मिक सामाजिक उत्सव होली पर प्रसांगिक है, कि होली के नाम पर जहां तहां लोग हरे भरे पेड़ पौधों को काटने से नहीं चूकते हैं। आज लोग होलिका को भव्य और विशाल बनाने  के फेर में हरे भरे पेड़ पौधे को काटते ही हैं साथ ही लकड़ी चुराने से भी बाज नहीं आते। उत्सव के नाम पर पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाली यह हमारी परंपरा का विकृत रूप है। होलिका दहन के चार दिन पहले पड़ने वाली एकादशी को शुभ मुहूर्त देखकर शादी के बाद पहली होलिका दहन पड़ने वाली नवविवाहिता महिला को ससुराल से मायके लेवाकर ले जाने का रिवाज छत्तीसगढ़ में है। मायके से  बेटी के ससुराल लेने बड़े ही रिवाज के साथ मायके में बनी छत्तीसगढ़ी व्यंजन ठेठरी,खूरमी, मुठिया, गुझिया,बड़ा ,सुंहारी (पुड़ी) शक्कर पारा आदि  घर में तैयार किए गए छत्तीसगढ़ी व्यंजन लेकर जाते हैं। छत्तीसगढ़ में होलिका दहन के दुसरे दिन यानी फागुन पुर्णिमा के दिन बच्चे, बुढ़े, युवा किसान महिलाएं बहुत ही उत्साह के साथ एक दुसरे को बुरा ना मानो होली है कहते हुए एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर स्वागत अभिनन्दन करते हैं और बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।   गांव में मनाएं जाने वाले होली उत्सव देखने लायक होती है, गांव के भजन मंडली नगाड़ों की थाप पर नाच गाकर घर घर जाकर फाग गीत गाते हैं और नाचते हैं। ग्रामीणों द्वारा भजन मंडली और नगाड़ों का आरती उतारकर सभी भजन गायकों का गुलाल लगाकर स्वागत अभिनन्दन करते हैं भेंट में नारियल, रुपए पैसे दान देकर भजन मंडली को बिदा देते हैं। यह बहुत मनमोहक प्रस्तुति होती है। छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ दुर्ग के संभाग उपाध्यक्ष हारुन मानिकपुरी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए हरे भरे पेड़ पौधे को होली पर्व पर विशेष रूप से बचाने की अपील करते हैं। वहीं होली पर्व पर बिना नशा पानी के शांति और सौहार्द के साथ होली पर्व मनाने की बात कही है।

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