बच्चों का भविष्य हो रहा है ख़राब, शिक्षक पीते हैं शराब,बच्चों के लिये स्कूल है पर पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं
Khabar 36 Garh news
*बच्चों का भविष्य हो रहा है खराब स्कूल आते हैं शिक्षक पी के शराब*
*हेताड़कसा गांव के स्कूल का हालबेहाल*
*भगवान भरोसे है स्कूल की व्यवस्था*
*छुरिया से मुज्जम्मिल खान की रिपोर्ट*
छुरिया मोहम्मद नज़ीर हुसैन। छुरिया के जंगलपट्टी में बसे ग्राम हेताड़कसा गांव की अपनी अलग ही कहानी है। बच्चों के लिये स्कूल है पर पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं है। बच्चों के भविष्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ हो रहा है इस गांव के बच्चों के साथ।
आज हमारी सर्वे टीम जब गांव हेताड़कसा के स्कूल पहुंची तो वहां का हाल बेहाल पाया। जहां सरकार बच्चों के सुखद भविष्य के लिये शिक्षा को ध्यान में रखते हुये बच्चों के लिये गांव गांव स्कूल खोलने में लगी है वहीं दूसरी ओर शराब के नशे में चूर रहने वाले कुछ शिक्षकों के लिये बच्चों का भविष्य खिलवाड़ लग रहा है। आठ पन्द्रह दिन में एक बार स्कूल आना तथा पूरे महीने की हाजरी भर देना और वेतन लेकर अपने आप में मस्त रहना इस शिक्षक की दिनचर्या बन गई है।पता चला है कि इस हेताड़कसा स्कूल के एक शिक्षक की तबियत खराब होने के वजह से वह अवैतनिक हो गया है और अभी छुट्टी पर है इसके बदले में गोटाटोला के एक शिक्षक को इस हेताड़कसा स्कूल में अटैच किया गया है कि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना हो। किन्तु यह शिक्षक कभी भी समय पर स्कूल नहीं आता है। और जैसे तैसे किसी दिन आ भी गया तो नशे की हालत में।बच्चों की रोज पिकनिक होती है क्योंकि घर से आकर यहा मध्यान्ह भोजन बनता है उसे खाना पीना और खेलकूद कर शाम को अपने घर चले जाना यही काम है बच्चों का पांच बच्चे हैं इस स्कूल में। पढ़ाई तो होना नहीं है सिर्फ घूम फिर के वापस चले जाओ घर यही काम है बच्चों का।इस संबंध में हेताड़कसा स्कूल के संकुल समन्वयक से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस शिक्षक की लिखित शिकायत उच्च अधिकारी से छुरिया में की गई है जिस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। संकुल समन्वयक ने यह भी बताया कि गांव वालों के साथ बैठक में इस शिक्षक के संबंध में बात हुई है। इस पर उचित कार्यवाही होनी चाहिये एैसा गांव वालों का कहना है।उच्चाधिकारियों को एैसे नशा करके स्कूल आने वाले शिक्षक को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करके किसी शिक्षा कार्यालय में अटैच करना चाहिये जिससे इनके स्वभाव में सुधार हो सके। क्योंकि इनके भरोसे बच्चों को पढ़ाई करवा पाना मुश्किल है।देखना ये है कि लिखित शिकायत हो जाने के बाद इस शिक्षक पर क्या कार्यवाही और कितनी जल्दी होती है। गांव वालों को इसका इंजतार है।