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Mohammad Nazir Hossain/ Editor-in-Chief January 21, 2025 bilaspur chhattisgarh
SECL के CSR फंड में भ्रष्टाचार,खिलाड़ियों का भविष्य बर्बादी की कगार पर ,खेल विभाग का उदासीन रवैया
बिलासपुर: (छत्तीसगढ़) हमनें अपनें पिछले एपिसोड्स में आपको बताया था कि, बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय और बिलासपुर के SECL (south eastern coalfields ltd.) में कार्मिक विभाग ने कैसे CSR फंड का दुरुपयोग किया है। अभी हाल ही में खेल परिसर के लिए कुछ साल पहले जारी किए गए CSR फंड के डिटेल्स हमारे पास आए हैं। CSR फंड में हुए भ्रष्टाचार की कड़ी को बढ़ाते हुए हम आज परत दर परत SECL के CSR फंड घोटाले को खोलेंगे। खेल परिसर में हुए आधे अधूरे कार्य और छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ की पूरी अंदरूनी कहानी बताने जा रहे हैं।
SECL headquarter
SECL के CSR फंड के भ्रष्टाचार की कहानी में कार्मिक विभाग, बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय और बिलासपुर के लोक निर्माण विभाग (PWD) की अलग-अलग भूमिका के बारे में आज विस्तार से चर्चा करेंगे। विभागों में बैठे बड़े अधिकारियों द्वारा जनता की गाढ़ी कमाई को कैसे बेखौफ होकर बर्बाद किया जा रहा है, इस एपिसोड में आपको आज सब बताएंगे।
बात वर्ष 2017-18 की है, बिलासपुर के सीपत एरिया में SECL के CSR फंड से खिलाड़ियों के लिए खेल अधोसंरचना (infrastructure) का कार्य होना था। इसके लिए PWD बिलासपुर ने 2 करोड़ 43 लाख का प्रस्ताव बनाकर बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय को भेजा। कलेक्टर कार्यालय ने फंड स्वीकृति के लिए प्रस्ताव को SECL के CSR सेल को भेजा। प्रस्ताव में कुछ राशि कटौती के बाद SECL ने कलेक्टर कार्यालय बिलासपुर को राशि की स्वीकृति प्रदान कर दी।
आपको बता दें कि SECL में CSR सेल कार्मिक विभाग के अंतर्गत संचालित होता है। निदेशक कार्मिक का पद इस वक्त बिरंची दास सम्हाल रहे हैं।
CSR पॉलिसी में साफ निर्देश है की कोई भी कार्य के लिए राशि टुकड़ों में दी जाती है। जैसे-जैसे कार्य का उपयोगिता प्राणपत्र जारी होता है, उसी क्रम में राशि किश्तों में प्रदान की जाती है।
SECL (CSR fund) द्वारा किन -किन कार्यों के लिए राशि दी गई ?
ये सारे कार्य खेल परिसर (सरकंडा एरिया, सीपत) के अंदर होने थे। SECL द्वारा स्वीकृत 2 करोड़ 25 लाख की कुल राशि स्वीकृति के पश्चात PWD बिलासपुर ने टेंडर निकाला और कार्य चालू करवाया।
SECL के CSR फंड से होने वाले कार्यों को abc newz की टीम ने खेल परिसर में अधूरे कार्यों को जांचा परखा। हमनें PWD के sub engineer से बात कि तो उन्होंने बताया कि SECL द्वारा मिली पहली 80 लाख की किश्त से फुटबॉल ग्राउंड, वॉलीबॉल ग्राउंड, चेंजिंग रूम, बास्केटबॉल ग्राउंड और बाउंड्री वॉल बनवाया है। हमारे पास उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि SECL से पहली किश्त सिर्फ 70 लाख की मिली है। बाकी के 10 लाख कहाँ गए ये PWD के अधिकारी ही जानते होंगे। PWD के अधिकारियों ने ठेकेदार के माध्यम से ग्राउंड में कितनी गुणवत्ता से कार्य किया है, आगे तस्वीरों से पता चलेगा।
आपको बता दें कि खेल परिसर ग्राउंड का मामला लगभग 4 साल पहले का है, कुछ काम हुए और 2 साल पहले टेंडर निरस्त कर दिया गया। हमनें SECL के निदेशक कार्मिक बिरंची दास के तकनीकी सचिव से बात की तो उन्होंने बोला कि GM CSR आलोक कुमार हमको कार्यों के बारे में डीटेल देंगे, लेकिन महीने भर बाद भी हमारे पास आलोक कुमार का फोन नहीं आया। निदेशक कार्मिक बिरंची दास भी बात करने से कतरा रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि खिलाड़ियों के लिए ग्राउंड बनाने के कार्यों में कुछ तो गड़बड़ है। इस मामले में बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय भी मौन है। हमनें खेल एवं युवा कल्याण विभाग की डायरेक्टर श्रीमती तनुजा सलाम से बात करनी चाही, तो उन्होंने भी बात करना मुनासिब नहीं समझा। कुल मिला कर इससे समझा जा सकता है कि SECL और राज्य शासन के अधिकारी खिलाड़ियों को लेकर कितने गंभीर हैं।
फुटबॉल ग्राउंड की हालत
खिलाड़ियों के लिए अगर समय से ग्राउंड बन जाता तो उनका प्रदर्शन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आने वाले समय पर देखने को मिल सकता था। लेकिन इन बड़े अधिकारियों की नाकामी की वजह से फुटबॉल, बास्केटबॉल और वॉलीबॉल के खिलाड़ियों का भविष्य बर्बादी की कगार पर है। वैसे भी बिलासपुर में खेल अधोसंरचना की बात की जाए तो ज्यादातर स्टेडियम का हाल बहुत बुरा है। प्रोजेक्ट्स की लेट लतीफी बिलासपुर में फैशन बन गया है।
कुल मिलाकर SECL का CSR फंड भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। बिलासपुर के सांसद, मंत्री और विधायकों को SECL के फंड की जांच करवानी चाहिए और बड़े अधिकारियों को सज़ा दिलवानी चाहिए और खेल परिसर ग्राउंड के अधूरे कार्यों को जल्द से जल्द चालू करवाकर खिलाड़ियों के भविष्य को सुनिश्चित करना चाहिए।
खेल परिसर से ली गई तस्वीरों से साफ दिखता है कि कैसे अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ के होनहार खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। इसके बाद भी अगर कोई विभाग खिलाड़ियों से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैडल लाने की अपेक्षा करेगा तो बात बेमानी ही लगती है। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी भगवान भरोसे ही हैं। नेताओं और अधिकारियों का जमीनी स्तर में कोई भी योगदान नज़र नहीं आता, जो बहुत ही शर्मनाक है।
नीचे दी हुई तस्वीरों को जरूर देखिए । इन तस्वीरों से साफ हो जाएगा कि बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय और SECL के CSR सेल ने मिलकर, खेल परिसर ग्राउंड में क्या गुल खिलाया है।