कलेक्टर ने ली बोर खनन ठेकेदारों की बैठक,बोरवेल मशीनों में जीपीएस लगाने के दिए निर्देश,सभी एसडीएम को प्रतिबंध का कड़ाई से पालन कराने के निर्देश ? Khabar 36 Garh news bilaspur chhattisgarh

भूजल खतरे के निशान पर, रिचार्ज करने सभी को करना होगा योगदान

भूजल खतरे के निशान पर, रिचार्ज करने सभी को करना होगा योगदान
अंधाधुंध भूजल के उपयोग पर जताई चिंता
सभी एसडीएम को प्रतिबंध का कड़ाई से पालन कराने के निर्देश
Mohammad Nazir Hossain chief editor khabar 36 Garh news bilaspur
बिलासपुर, 10 मई 2025/ कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने आज मंथन सभाकक्ष में बोर खनन करने वाले ठेकेदारों की बैठक ली। उन्होंने जल संरक्षण की महत्ता बताते हुए इसमें सहयोग करने का आग्रह किया। जिले भर के करीब 50 ठेकेदार उपस्थित थे। खनन पर लागू प्रतिबंध का कड़ाई से पालन करने की हिदायत दी। सभी लोग जल को बचाने में अपनी भूमिका निभाएं। बैठक में जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल और पीएचई विभाग के ईई हर्ष कबीर भी उपस्थित थे।

कलेक्टर ने जिले में पंजीकृत सभी बोर मशीनों में जीपीएस सिस्टम लगाने के निर्देश दिए ताकि उनकी ट्रैकिंग किया जा सके। पीएचई यांत्रिकी विभाग इसे सुनिश्चित करेगा। उनका पंजीयन इसी कार्यालय में होता है। प्रतिबंध के बावजूद चोरी – छिपे बोर खनन की शिकायत यदा कदा मिलते रहती है। उन्होंने सभी एसडीएम और राजस्व अधिकारियों को भी इन पर कड़ी निगरानी के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने पेयजल संकट को देखते हुए एक माह पहले नलकूप खनन पर बंदिश लगा दी है।उन्होंने कहा कि भूमिगत जल को बचाने की हम सभी को चिंतित होना चाहिए। जल संरक्षण के उपाय सुनिश्चित करने हमें कठोर कदम उठाने होंगे। जल का दुरुपयोग और अंधाधुंध इस्तेमाल आगे स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्राकृतिक संसाधनों पर केवल एक या दो पीढ़ी का अधिकार नहीं है। हमें आगे आने वाली पीढ़ी के लिए भी पानी को बचाकर रखना होगा। और यह काम अकेले सरकार का नहीं बल्कि संपूर्ण मानव समाज की जिम्मेदारी है। कलेक्टर ने केंद्रीय ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट का जिक्र किया और इसकी भयावहता के प्रति सचेत किया। भूजल का केवल 2 प्रतिशत पेयजल में उपयोग होता है। 13 प्रतिशत उद्योग में और 85 फीसदी फसल उत्पादन में। गरमी में धान की फसल उत्पादन भूजल स्तर के गिरने का बड़ा कारण है।
कलेक्टर ने कहा की भूगर्भ का जल असीमित नहीं है । नीचे बहुत सीमित मात्रा में जल बचा है । उन्होंने कहा कि पानी गिरने का पैटर्न में पिछले कुछ वर्षों में बदलाव आया है। अपनी एक साथ गिरकर बह जा रहा है, रुक नहीं रहा है। पहले जब झड़ी स्वरूप में पानी गिरता था तो जल स्तर रिचार्ज हो जाता था। पानी को पेड़ भी रोक कर रखता था। पेड़ भी अब कम हो गए। हम जितना पानी उपयोग कर रहे, उससे ज्यादा जमीन में पहुंचने की जरूरत है, तभी संतुलन बन पाएगा। 80- 90 के दशक में जहां 90 फीट की गहराई के आसपास पानी मिल जाता था, आज वही जलस्तर नीचे गिरकर 300 फीट तक में भी पानी मिलना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि अगले 200 पीढ़ी तक उपयोग करने लायक पानी को केवल दो-तीन पीढ़ी ने अभी उपयोग कर लिया है। अब समय आ गया है कि हम भूजल का उपयोग कम करें और रिचार्ज पर ज्यादा ध्यान दें। उन्होंने सूखे पड़े ट्यूबवेल के माध्यम से जल नीचे पहुंचा ने की व्यवस्था करने को कहा है। पानी दबाव के साथ नीचे पहुंचने को रिवर्स ट्यूबवेल कहा जाता है। अब बरसात के पानी को जमीन में डालने का समय आ गया है। राजनांदगांव जिले के कुछ गांव में इसके सफल प्रयोग किए गए हैं।
