बिलासपुर

देवरीखुर्द मामला :सुलभ शौचालय को तोड़ पार्षद लक्ष्मी ने किया जमीन पर कब्जा, लोग खुले में शौच जाने को हुएं मजबूर

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देवरीखुर्द में पार्षद लक्ष्मी यादव ने बिना परमिशन के तुड़वाया सुलभ शौचालय, जमीन कब्जे का लगा आरोप , महिलाएं खुले में शौच जाने को हुई मजबूर*

@ मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को लगा पलीता पार्षद लक्ष्मी यादव ने तुड़वाया सुलभ कॉम्पलेक्स, जमीन कब्जे की आयुक्त से हुई शिकायत

पंचायत कार्यकाल में बना था सुलभ शौचालय,
मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का बंटाधार


बिलासपुर(मोहम्मद नज़ीर हुसैन) कहते हैं सत्ता इंसान को भ्रष्ट बना देती है ऐसा ही वाक्या बिलासपुर के देवरी खुर्द में चरितार्थ हुआ है जिसमे निर्दलीय पार्षद या यूं कहे भू माफिया लक्ष्मी यादव पर सुलभ शौचालय की जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगा है। और साक्ष्य और सबूत भी चीख – चीख कर नेता जी के गुनाह की सच्चाई बयान कर रहे है इस बार सतबहनिया ट्रस्ट की जमीन नहीं बल्कि पार्षद  लक्ष्मी यादव पर सुलभ शौचालय की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा है। इस अवैध कब्जे को लेकर  वार्डवासियों में गहरा आक्रोश है, जो अब आंदोलन की तैयारी में हैं।

देवरीखुर्द के पूर्व सरपंच मनिहार निषाद ,  खेत्रों महानंद, और भाजपा युवा नेता अवडेश प्रसाद व स्थानीय लोगो द्वारा निगम आयुक्त और जोन कमिश्नर 6 को की गई शिकायत में सुलभ शौचालय का निर्माण पंचायत कार्यकाल के दौरान बताया गया है, जिसके गवाह क्षेत्र के लोग भी है जिसे हाल ही में  लक्ष्मी यादव और उसके गुर्गों द्वारा अवैध रूप से गिरा दिया गया। दिलचस्प बात ये है कि पार्षद ने स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाने की झूठी कहानी रच के यह काला कारनामा किया, और  शौचालय की जमीन पर कब्जा कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया ।जिसकी तस्वीरे सच्चाई बयान कर रही है तस्वीरे बयान

महिलाएं अब क्या करें,खुले में शौच करने को है मजबूर

सुलभ शौचालय के गिराए जाने के बाद इलाके की महिलाओं और पुरुषों को खुले में शौच के लिए मजबूर हो रहें है। स्थानीय लोग अब शौच के लिए पास की झाड़ियों में जाने लगे हैं, जिससे उनकी गरिमा और स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।  कुछ वीडियो भी मीडिया के पास मौजूद हैं, जो इस अवैध कब्जे की विभीषिका को बयान कर रहे है।

ठेकेदार ने कहा कबुल है कबूल है

सामान्यतः यह शब्द विवाह के उपरांत समुदाय विशेष के लिए उपयोग किया जाता है ।
लेकिन यहां हम इस शब्द का उपयोग ठेकेदार के उसे कबूल नामें के विषय में कर रहे हैं जो इस अवैध निर्माण में हिस्सेदार हैं और इस कारनामे  में भी शामिल है, ठेकेदार आनंद ने इस बात की पुष्टि की है कि निर्माण बिना वर्क ऑर्डर के किया जा रहा है। उसने यह भी खुलासा किया कि पार्षद लक्ष्मी यादव ने इस निर्माण के लिए गेट और अन्य सामग्री का खर्चा उठाया है, और सारा काम उसी के आदेश पर हो रहा है। ठेकेदार का यह बयान निगम की भूमिका और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है और सोचने पर विवश करता है कारण सिर्फ इतना है कि इस पूरे प्रकरण में निगम की चुप्पी और निष्क्रियता से स्थानीय लोग हैरान हैं। (मीडिया के पास साक्ष्य मौजूद)

निगम अधिकारियों की जवाबदेही पर भी प्रश्न

तोरवा जोन क्रमांक 6 की कमिश्नर श्रीमती सिंह से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इस मामले में अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं थी, जबकि क्षेत्र में निगम की जवाबदारी को लेकर पहले से ही सवाल उठाए जा रहे हैं। निगम की इस लापरवाही से नाराज स्थानीय लोग अब पार्षद और निगम प्रशासन के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं।

सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा

इस पूरे घटनाक्रम के बाद स्थानीय युवाओं ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने पूर्व में बने सुलभ शौचालय की तस्वीरें पोस्ट कर इसे फिर से बनाने की मांग की है। कई लोगों का कहना है कि शौचालय को गिराए जाने से पहले कोई वैध वर्क ऑर्डर जारी नहीं किया गया, जो स्पष्ट रूप से अवैध कब्जे का प्रमाण है।

पूर्व में भी हुए हैं अवैध कब्जे

देवरी खुर्द में यह पहला मामला नहीं है जब अवैध कब्जा हुआ हो। इससे पहले सत बहिया मंदिर ट्रस्ट की भूमि पर भी निर्दलीय पार्षद लक्ष्मी यादव द्वारा कब्जा किया गया है, जिसे छुड़ाने में निगम अब तक असफल रहा है। ऐसे मामलों से क्षेत्र में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं, और स्थानीय लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है।

कार्यवाही नहीं होने पर आंदोलन की तैयारी

वार्ड वासी इस मामले को लेकर बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि अगर निगम जल्द इस मामले में कार्रवाई नहीं करतें हैं, तो पूरे वार्ड में आंदोलन की चिंगारी भड़क सकती है। वहीं, भाजपा सरकार के आने के बाद अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ राज्यभर में धड़ाधड़ कार्यवाही की जा रही है, लेकिन देवरी खुर्द में भूमाफियाओं को अभयदान देकर अवैध कब्जे करवाना निगम प्रशासन का दोहरा चरित्र उजागर करता है।

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