अपना वजूद मिटा कर इस्लाम बचा लिया हुसैन ने: हजरत आलमगीर
कल 17 जुलाई को निकलेगा ताजिया, मस्जिद व घरों में पढ़ी जाएगी दुआए आशूरा
मोहर्रम पर तकरीर हुई सेक्टर-6 मस्जिद और खुर्सीपार में, समाज के विशिष्ट लोगों का हुआ सम्मान
Mohammad Nazir Hussain
भिलाई ख़बर 36 गढ़ न्यूज। कर्बला के शहीदों की याद में शहर में जगह—जगह तकरीर, लंगर व फातिहा ख्वानी का सिलसिला जारी है। मंगलवार 9 मोहर्रम की शाम सेक्टर-6 मस्जिद के पास और फरीद नगर में अलाव और लंगर रखा गया। वहीं बीती रात 8 मोहर्रम को पैगंबर हजरत मुहम्मद के वंशज आले नबी औलादे अली फर्जंद ए गौसे आजम हुजूर हजरत सैयद आलमगीर अशरफ अशरफी उल जिलानी की तकरीर जामा मस्जिद सेक्टर-6 और खुर्सीपार में हुई। इस दौरान खुर्सीपार में हजरत अशरफी के हाथों समाज के विशिष्ट लोगों का सम्मान भी किया गया।
हजरत आलमगीर दोपहर में भिलाई पहुंचें। शाम के वक्त उन्होंने मगरिब की नमाज जामा मस्जिद सेक्टर-6 में अदा करवाई। इसके बाद अपनी तकरीर में उन्होंने यहां कर्बला के शहीदों के वाकयात बयान किए। प्रख्यात शिल्पकार हाजी एमएच सिद्दीकी ने इस दौरान हजरत आलमगीर को अपनी किताब तामीर-ए-मस्जिद, मदरसा व मजारात की प्रति भेंट की। उन्होंने हाजी सिद्दीकी के इस काम सराहा और उम्मीद जताई कि इस किताब का फायदा मस्जिद, मदरसा व मजार के तामीरी काम के दौरान जरूर होगा।
इसके बाद हजरत आलमगीर इलाहाबादी पंचायती ताजिया इमामबाड़ा सड़क 20 जोन–1 खुर्सीपारा भिलाई में जिक्र-ए-शोहदाए कर्बला में शामिल हुए। यहां उनका अंजुमन हुसैनिया कमेटी खुर्सीपार के सदर हुसैन अली अशरफी सहित तमाम लोगों ने गुलपोशी से इस्तकबाल किया।
अपनी तकरीर में उन्होंने कहा कि दुनिया में जंग तो गर्दन काटने के बाद जीती जाती है मगर कर्बला में एक जंग ऐसी हुई जहां गर्दन कटी और हक जीत गया। इसलिए कोई यह नहीं कहता कि मैदान-ए-कर्बला में यजीद जीता। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन के सारे साथी शहीद हो जाते और खुद हुसैन बच जाते तो बड़े फख्र से कहा जा सकता था कि इमामे हुसैन ने यजीद के 22 हजार के लश्कर को कुचल दिया, मगर यहां तो सारी दास्तान मजलूमियत की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह एक शमा अपने वजूद की परवाह नहीं करती और खुद मिट कर रोशनी करती है। उसी तरह इमाम हुसैन ने अपने जिस्मो जान और खानदान की परवाह नहीं की। एक शमा की तरह अपने वजूद को खत्म कर दिया लेकिन नबी की शरीयत पर आंच नहीं आने दी और अपनी कुरबानी देकर इस्लाम को बचा लिया। उन्होंने कहा कि आज जो हम इबादत कर रहे हैं, ये सब उन्हीं इमाम हुसैन का सदका है।
इस मौके पर हजरत आलमगीर के हाथों समाज में विशिष्ट योगदान देने वाली हस्तियों का सम्मान किया गया। इनमें भिलाई स्टील प्लांट के रिटायर जनरल मैनेजर एम.आर.के. शरीफ, वरिष्ठ पत्रकार हनीफ निजामी और सेना के जवान कैप्टन मोहम्मद जमाल,मोहम्मद अनीस,मोहम्मद इलियास और रफीक अहमद शामिल हैं। हजरत आलमगीर यहां इमामबाड़ा पर इमाम हसन की चौकी की फातिहा में भी शामिल हुए। आखिर में सलाम पेश किया गया और दुआएं की गई।
अंजुमन हुसैनिया के इस 10 रोजा प्रोग्राम को कामयाब बनाने में अरशद अय्यूब, मोहम्मद सगीर, मोहम्मद शमीम, अरशद अली, गुलाम,मोहम्मद तुफैल, आरिफ अयूब, अहमद रजा, रमजान अली, पीर हुसैन, राज मोहम्मद, गुलाम सरवर, मुमताज अली, मोहमद राशिद, शाहरुख खान, मोहम्मद तौहीद, तौफीक रजा, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद साहिल, राजा, बाबू भाई, मोहम्मद साहिल, अमन और अहमद सहित तमाम लोग अपना योगदान दे रहे हैं। इसी तरह यहां तकरीर के बाद रोजाना लंगर हो रहा है। इसे तैयार करने में हज्जन सोगरा, आमना खातून, तबस्सुम नाज, रशीदा बेगम, आशिया बेगम, आसमा बेगम, शकीला बानो, नजमा बेगम, हस्नैन तारा और जैतून निशा अपनी सेवाएं दे रही हैं।
कल 17 जुलाई को निकलेगा ताजिया, पढ़ी जाएगी दुआए आशूरा
10 मोहर्रम पर 17 जुलाई को शहर में ताजिया निकलेगा। इसके लिए शहर की तमाम अंजुमन और कमेटियों की ओर से तैयारियां कर ली गई है। बारिश को देखते हुए इमामबाड़ों में बंदोबस्त किए गए हैं। इसके अलावा मस्जिदों और घरों में लोग दुआए आशूरा पढ़ेंगे। मोहर्रम कमेटी के चेयरमैन मोहम्मद जाफर और चीफ आर्गनाइजर गुलाम सैलानी ने बताया कि जिला एवं पुलिस प्रशासन की योजना अनुसार जुलूस का मार्ग तय कर सभी अंजुमन और कमेटियों को जानकारी दे दी गई है। इस बार 48 ताजिया, अखाड़े और सवारी कमेटियां जुलूस में शामिल होंगी। वहीं इस जुलूस में लंगर का भी इंतजाम होगा। शहर के सभी इमामबाड़ों में ताजिया का तामीरी काम पूरा हो गया है और शहर की परंपरा अनुसार 16-17 जुलाई की दरमियानी रात शहर के सभी इमामबाड़ों से ताजिए और अखाड़े निकल कर पावर हाउस चौक पहुंचें और यहां अखाड़ा खेलने के बाद अपने-अपने इमामबाड़ों में लौट गए।
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