अपना वजूद मिटा कर इस्लाम बचा लिया हुसैन ने: हाफिज रिज़वान
Mohammad Nazir Hussain Bilaspur Chhattisgarh
@ मस्जिद व घरों में पढ़ी गई दुआए आशूरा,अमन चैन शांति कि मांगी दुआएं
@ मोहर्रम पर लुतरा में तीन दिवसीय तकरीर का हुआ समापन , समाज के विशिष्ट लोगों का हुआ सम्मान
सीपत ख़बर 36 गढ़ न्यूज न्यूज। कर्बला के शहीदों की याद में सीपत लुतरा शरीफ, खम्हरियां में जगह—जगह तकरीर, लंगर व फातिहा ख्वानी का सिलसिला जारी रहा तीन दिवसीय सोहदाय कर्बला प्रोग्राम का मंगलवार 9 मोहर्रम की रात्रि लुतरा शरीफ के शमां महफील हाल हुआ समापन वहीं। 7,8,9 मोहर्रम को हाफिज मोहम्मद रिजवान साहब ने शानदार तकरीर किए। इस दौरान मुस्लिम जमात व खादीमे अस्ताना के हाथों समाज के विशिष्ट लोगों का सम्मान भी किया गया।
हाफिज रिज़वान साहब ने इंशा बाद अपनी तकरीर में उन्होंने यहां कर्बला के शहीदों के वाकयात बयान किए। जंहा
अपनी तकरीर में उन्होंने कहा कि दुनिया में जंग तो गर्दन काटने के बाद जीती जाती है मगर कर्बला में एक जंग ऐसी हुई जहां गर्दन कटी और हक जीत गया। इसलिए कोई यह नहीं कहता कि मैदान-ए-कर्बला में यजीद जीता। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन के सारे साथी शहीद हो जाते और खुद हुसैन बच जाते तो बड़े फख्र से कहा जा सकता था कि इमामे हुसैन ने यजीद के 22 हजार के लश्कर को कुचल दिया, मगर यहां तो सारी दास्तान मजलूमियत की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह एक शमा अपने वजूद की परवाह नहीं करती और खुद मिट कर रोशनी करती है। उसी तरह इमाम हुसैन ने अपने जिस्मो जान और खानदान की परवाह नहीं की। एक शमा की तरह अपने वजूद को खत्म कर दिया लेकिन इमाम हुसैन ने अपने नाना नबी की शरीयत पर आंच नहीं आने दी और अपनी कुरबानी देकर इस्लाम को बचा लिया। उन्होंने कहा कि आज जो हम इबादत कर रहे हैं, ये सब उन्हीं इमाम हुसैन का सदका है।
आखिर में सलाम पेश कर दुआएं की गई।
आज क्षेत्र में निकली ताजिया, मस्जिद व घरों में पढ़ी गई दुआए आशूरा,अमन चैन शांति कि मांगी दुआएं
10 मोहर्रम पर 17 जुलाई को सीपत क्षेत्र में ताजिया निकाली गई। इसके लिए कमेटियों की ओर से तैयारियां की गई बारिश को देखते हुए बंदोबस्त किए गए हैं। इसके अलावा मस्जिद और घरों में मुस्लिम समाज के लोगों ने दुआए आशूरा पढ़ें साथ ही सीपत पुलिस प्रभारी निलेश पांडेय के निर्देशानुसार पूरे सीपत क्षेत्र में मोहर्रम के मौके पर पेट्रोलिंग गाडियां गस्त की जंहा क्षेत्र में सभी भाईचारे से इस त्योहार को मनाया गया झलमला पोड़ी पंधी में जुलूस लंगर के साथ ही सभी इमामबाड़ों से ताजिए और अखाड़े निकल कर बस्ती का भ्रमण कर पहुंचें
–