हाथी के हमले से घायल हुआ ग्रामीण इलाज कराने लगा रहा वन विभाग से गुहार
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*हाथी दल रात को हाथियों को बीच बस्तियों में छोड़कर हम गांव वालों को भगवान भरोसे छोड़कर चले जाते हैं—स्थानीय ग्रामीण
सूरजपुर/प्रतापपुर गोल्डी खान की रिपोर्ट
*जिले के वन परिक्षेत्र प्रतापपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत कोटया निवासी देवराज राजवाड़े उम्र 52 वर्ष हाथी के हमले से हुआ घायल ज्ञात हो की घटना दिनांक 25 12.2024 के लगभग शाम के 7:00 बजे के आसपास का है जहां देवराज राजवाड़े और वंशलाल राजवाड़े पिता देवराज और सुखन सिंह तीनों सुबह सोसाइटी ले जाने धान को ट्रैक्टर में भरने की तैयारी में शाम को ही अपने घर के सामने ट्रैक्टर लगाकर धान भर रहे थे कि अचानक से हाथी ट्रैक्टर के समीप पहुंचा और धान भर रहे ग्रामीणों पर हमला कर एक ग्रामीण को पटक दिया तत्पश्चात ग्रामीणों ने आनन फानन में अपनी जान ट्रैक्टर के ट्रॉली के नीचे घुस कर बचाए गुस्साए हाथी ने अपना गुस्सा धान पर निकाला और धान को तितर बितर कर दिया जिसको लेकर आसपास में हो रहे घटनाओं को देखकर ग्रामीणों में भय का माहौल*
*इस विषय में हाथी के हमले से हुए घायल देवराज राजवाड़े का क्या कहना*
*जब अचानक हाथी ने पकड़कर पटका तो मैं बेहोश होने जैसा हो गया था अगर मैं ट्रैक्टर ट्राली के नीचे नहीं छिपता तो हाथी मेरे शरीर का टुकड़े-टुकड़े कर देता मैं सुबह होते ही प्रतापपुर रेंज ऑफिस गया और मेरे साथ हुई घटना के बारे में अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन वन विभाग मेरी बातों को गंभीरता से न लेकर टालमटोल करने में लगे रहे मेरे सीने की अंदरुनी हिस्सों में गंभीर चोटे आई हैं जिसके कारण मैं ना तो सो पा रहा हूं ना तो सही से बैठ पा रहा हूं मुझे सांस लेने में भी काफी परेशानीया हो रही है वन विभाग के द्वारा मेरे इलाज में किसी प्रकार से कोई सहयोग नहीं कर रहे वन विभाग के आला अधिकारियों से इलाज कराने को लेकर गुहार लगा चुका हूं कि मेरा इलाज करा दीजिए लेकिन वन विभाग के द्वारा सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा और कहा जा रहा कि तुम्हारे खेत में कुछ भी खेती हो उसमें अगर हाथी घुस जाए तो हम उसमें कुछ बढ़ाकर एडजस्ट कर देंगे फिलहाल अभी तुम अपना इलाज स्वयं के पैसे से कराओ लेकिन इलाज कराने के लिए मैं सक्षम नहीं हूं मेरे पास पैसे का अभाव है इसलिए वन विभाग के अधिकारियों से निवेदन करता हूं कि मेरा इलाज अच्छे से करवाया जाए ताकि मैं स्वस्थ हो सकूं मुझे काफी परेशानीया हो रही है*
*इस विषय में कोटेया के स्थानीय ग्रामीणों का क्या कहना*
वन विभाग हम गांव वालों के जीवन के साथ मानव खेल खेल रही है उस घटना के दिन भी हाथीयो को चारटिकरा तरफ से खेदकर हमारे कोटेया महानदेपारा के बीच बस्तीयों में लाकर हम गांव वालों को भगवान भरोसे छोड़ दिए और वापस चल दिए उसका अंजाम ये हुआ कि हमारे गांव के तीन लोगों का जान जाते जाते बचा आखिर इतनी बड़ी लापरवाही वन विभाग का क्यों क्या हम गांव वालों का जान कीमती नहीं अगर जब भी हम गांव वाले रेंज ऑफिस में हाथी भगाने के लिए पटाखा मांगने जाते है तब विभाग के कुछ लोग कहते हैं की क्या पटाखा क्या दीपावली है जो पटाखा फोड़ोगे आखिर हम गांव वाले करें तो करें क्या हाथी भगाने का नहीं है कोई साधन फिर हम अपनी जान हाथियों से कैसे बचाए जब विभाग के हाथी भगाने वाले हाथीदल खुद बस्तियों में हाथीयो को छोड़कर हम गांव वालों को भगवान भरोसे छोड़ दें तो हमारी रक्षा आखिर कौन करेगा अगर किसी का जान माल का क्षति होता है तो कौन होगा जिम्मेदार अगर इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जाता और हमारी जान माल की रक्षा के लिए कोई व्यापक व्यवस्था हम गांव वालों के लिए नहीं किया जाता तो हम गांववाले बाध्य होकर उग्र आंदोलन करेंगे जिसके जिम्मेदार वन विभाग होगा