बिलासपुर

सुबह से छेरछेरा की आवाज से गूंजने लगा गली मोहल्ले

(मोहम्मद नज़ीर हुसैन) बिलासपुर

सुबह से छेरछेरा की आवाज से गूंजने लगा गली मोहल्ले

बिलासपुर ख़बर 36 गढ़ न्यूज 25 जनवरी 2024:- भारत देश विविधताओं से भरा हुआ अलग-अलग राज्यों की संस्कार, संस्कृतियों को अपने में समेटे हुए आपसी सामंजस्य के साथ भाईचारा एवं सामाजिकता समरसता का अनुभव कराता है इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की एक पुरानी संस्कृति में जुड़ी हुई एक पर्व छेरछेरा है जिसे गांव के साथ साथ शहरों में भी हिन्दूओं के अलावा अन्य पंत के लोगों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है इस त्यौहार मे बिटकुला, मड़ई, खम्हरिया, लूतरा, खांडा, धनिया ऊनी,कुली, कुकदा, निरतू ,खोदरा जेवरा जुहली,सहित आसपास के सभी गांवों में बच्चे खुश दिखाई दिए सुबह-सुबह से छेरछेरा के शोर से पूरे गली मोहल्लों गूंजायमन रहा यह त्यौहार आपसी भाईचारा और स्नेह प्रेम की भाव का प्रतीक है शिक्षक मनोज पाटनवार और पत्रकार मोहम्मद नज़ीर बताते हैं कि जब किसान अपने फसलों को खेतों से कटाई -मिजाई करने के बाद अनाज को घर पर ले आते हैं तब यह त्यौहार खुशियों के रूप में उसे पूस के पूर्णिमा तिथि को अन्न दान महादान मानकर दानपर्व के रूप में मनाया जाता है इस दिन अन्नदान करना महा पुण्य का काम माना जाता है इसीलिए गांव में तो धान का उत्पादन होने से ग्रामीण जन धान का दान कर लेते हैं किंतु शहरों में धान का उत्पादन नही होने से चावल दान करते हैं इनके अलावा कुछ लोग अनेक प्रकार की वस्तुओं के साथ चॉकलेट या मिठाइयों का भी दान करते हैं ठिठुरते शीतलहर, कंपकपी ठंड के बावजूद सुबह से ही गांव , शहर में बच्चे हर घर पर दस्तक देकर छेरछेरा की आवाज लगाकर घर-घर दान मांगते दिखे और सभी के चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान देखने को मिला महिलाएं सुआ नृत्य करके अन्न मांगते नजर आए वहीं पुरुषों में बड़े बुजुर्ग लोग डंडा, सैला नृत्य करते हुए छेरछेरा पर्व का आनंद लिया और सायंकाल महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे लोखड़ी खेलने की तैयारियां करते नजर आए

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