लोक संस्कृति की धड़कन में बसी हमारी पहचान- विजय कृष्ण पांडेय ? Khabar 36 Garh news sipat ntpc bilaspur chhattisgarh

रलिया की पंथी टीम विजेता, कौड़िया दूसरा तो जांजी तीसरे स्थान पर रही

Mohammad Nazir Hossain chief editor khabar 36 Garh news sipat ntpc bilaspur
सीपत न्यूज़
एनटीपीसी सीपत परियोजना की ओर से “हमर धरोहर अंतर ग्रामीण लोक कला प्रतियोगिता 2025” का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें परियोजना क्षेत्र के प्रभावित ग्राम गतौरा,रलिया, रांक, जांजी, कौड़ियां,सीपत एवं कर्रा के 12 दलों से कुल 175 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस आयोजन में 8 से 80 वर्ष के आयु के प्रतिभागियों ने छत्तीसगढ़ी लोक परंपरा की समृद्ध संस्कृति विरासत को सहेजते हुए लोक गीतों की शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक परंपरा को संजोना और नई पीढ़ी को इसकी विरासत से जोड़ना रहा। आयोजन का यह दूसरा वर्ष है।

एनटीपीसी के कला निकेतन में शाम 4 बजे से आयोजित इस कार्यक्रम में प्रभावित ग्रामो के प्रतिभागियों ने पारंपरिक लोक गीतों एवं नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुति दी। जस गीत, सुआ गीत, बांस गीत, पंथी सहित अन्य छत्तीसगढ़ी लोक विधाओं ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकारों ने प्रस्तुति के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति, लोक कला और सामाजिक संदेशों को खूबसूरती से मंच में उतारा। उनकी वेशभूषा और प्रस्तुतियों ने छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक को जीवंत कर दिया।

मुख्य अतिथि परियोजना प्रमुख विजय कृष्ण पाण्डेय ने विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया और सभी कलाकारों की सराहना करते हुए कहा कि, “इस प्रकार के आयोजनों से हमारी संस्कृति जीवित रहती है और समाज में सांस्कृतिक चेतना का संचार होता है। कार्यक्रम का सफल संचालन एनटीपीसी के प्रवीण भारती ने किया।

कार्यक्रम में जनपद पंचायत मस्तूरी अध्यक्ष सरस्वती सोनवानी, एनटीपीसी के महाप्रबंधकगण अनिल शंकर शरण,आलोक त्रिपाठी, स्वप्न कुमार मंडल,ब्रजराज रथ, एचआर प्रमुख जयप्रकाश सत्यकाम,उप कमांडेड सीआईएसएफ कपिल सुधाकर, यूनियन एशोसिएशन के प्रतिनिधि,सीपत प्रेस क्लब के पत्रकार, एनटीपीसी प्रबंधन के अन्य अधिकारी, ग्रामीण जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। समापन समारोह में लोक कलाकारों को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
लोक संस्कृति की धड़कन में बसी हमारी पहचान-विजय कृष्ण पांडेय
एनटीपीसी परियोजना प्रमुख विजय कृष्ण पांडेय ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि आज भी हमारे गांव-कस्बों की गलियों में, त्योहारों की रौनक में और घर-आंगन की सजावट में लोक संस्कृति जीवित है। आश्चर्य की बात यह है कि हमारे छोटे-छोटे बच्चे भी लोक कला और परंपराओं से जुड़े हुए हैं। यह देखकर मन में गर्व का भाव जागता है कि आधुनिकता की तेज़ रफ्तार के बावजूद, लोक परंपराएं आज भी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।

हालांकि, समय के साथ धीरे-धीरे आधुनिक संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है और वह हमारी लोक परंपराओं पर हावी होने लगी है। इसी कारण हमारे दिल की गहराइयों से यह भावना जन्म लेती है कि हमें अपनी लोक संस्कृति को सहेज कर रखना चाहिए। हमारी दिनचर्या की शुरुआत ही इन भावनाओं के साथ होती है। कार्यकारी निदेशक ने कहा, “हमें अपनी लोक विरासत को केवल स्मृति नहीं, जीवनशैली बनाना होगा। यही हमारी असली पहचान है और इसे हमें अगली पीढ़ी तक संजो कर ले जाना है। उन्होंने अंत मे स्वच्छता के प्रति शपथ दिलाई।
रलिया की पंथी टीम विजेता, कौड़िया दूसरा तो जांजी तीसरे स्थान पर रही
प्रतियोगिता में रलिया की पंथी टीम विजेता रही,दूसरे स्थान पर बांस गीत टीम कौड़िया वही तीसरे स्थान पर जांजी की छत्तीसगढ़ दर्शन टीम रही सभी विजेताओं को ट्रॉफी के साथ सभी 12 दलों के सदस्यों को आकर्षक पुरुष्कार से सम्मानित किया गया।
